पितृ दोष लक्षण व उपाय (Pitra Dosh)
ॐ साई राम।
जय गुरु जी।
जय गुरु जी।
पितृ दोष
पितृ दोष (Pitra Dosh) के बारे में ब्रह्म पुराण में भी लिखा है की कृष्ण पक्ष की शाम को और अश्वनी मास में मृत्यु के देवता यमराज पितरों की आत्मा को श्राद्ध के अवसर पर बच्चों द्वारा दिए गए भोज को ग्रहण करने की अनुमति देते है । जो लोगअपने पितरों का श्राद्ध ठीक प्रकार से नहीं कर पाते तो उनके पितृ गुस्सा होकर अपने ही संसार में चले जाते हैं और इसका फल अनेक तरीके की समस्याओं के रूप में भुगतना पड़ता है।
- पितृदोष से होने वाली परेशानियों में एजुकेशन और कैरियर के फील्ड में हमेशा रुकावट आती रहती है
- शराब की लत लगना और नशा पीछा नहीं छोड़ता ।
- परिवार में स्त्रियों को कई बार कई बार गर्भपात का भी सामना करना पड़ता है।
- गरीबी खत्म होने का नाम ही नहीं लेती है।
- पितृदोष के कारण हमेशा आदमी बिमारियों में घिरा रहता है ।
- अक्सर ऐसे लोगों को जमीन ज्यादा संबंधित मुकदमों का सामना करना पड़ता है।
- पितृदोष होने पर आजीवन परेशानियां उठानी पड़ती है एक साथ बैठते ही अकारण झगड़ा हो जाता है।
- परिवार छोटा होता जाता है।
- धन नहीं रुकता ।
- घर का कोई हिस्सा बनते बनते रुक जाता है या टूट जाता है ।
उपाय
घर के सभी सदस्य बृहस्पति अमावस्या को एक साथ हवन कुंड के पास बैठे और घर का मुखिया अपने दाहिने हाथ में हल्दी की माला ले ले। सभी सदस्य अपने पास नारियल रखें, साथ ही बाएं हाथ में हल्दी की गांठ रखें। पांच माला या इससे ज्यादा बृहस्पति मंत्र का पाठ करें व हवन सामग्री की आहुति दे।। हल्दी की गांठ और रुपया मंदिर में दे दें ।
घर का प्रत्येक सदस्य नारियल नदी में प्रवाहित करें, फिर कुष्ठ रोगियों को भोजन कराएं। इस कार्य मे बच्चों को भी शामिल करें।
परेशानी के लिए उपाय🙁- अपने इष्ट देव की आराधना करें। हो सके तो घर के सभी सदस्य एक साथ आराधना करें। घर का मुखिया अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएं ।
गंभीर परेशानियों के लिए उपाय😟 - गंभीर परेशानियों के लिए उपाय लंबे समय तक करने पड़ेंगे। यह उपाय 8 से 10 साल तक भी करने पड़ सकते हैं।
आप विश्वास के साथ उपाय करें, लाभ अवश्य मिलेगा।
आप विश्वास के साथ उपाय करें, लाभ अवश्य मिलेगा।
पितृ दोष की शांति के लिए सही मुहूर्त अमावस्या और चतुर्दशी को होता है जो हर महीने में पड़ती है ।
- जिसकी कुंडली में पित्र दोष है हमेशा उसे अपने पितरों के प्रति श्रद्धा का भाव रखना चाहिए।
- अपने समस्त पितरों का श्राद्ध एवं तर्पण करना चाहिए।
- अपने घर की बनने वाली पहली रोटी में से कुछ टुकड़े गाय और चिड़िया के लिए निकाल कर उनको खिलाएं।
- हर मौसम का आने वाला पहला फल 🍎🥭 किसी निर्धन मजदूर व्यक्ति को या किसी मंदिर में अवश्य देना चाहिए।
- पितृदोष के लिए गंगा में काले तिल बहाने का भी महत्व है ।
- अमावस्या🌑 के दिन, अगर पुरुष है तो किसी ब्राह्मण को और महिला है तो किसी ब्रह्मिणी को भोजन दान इत्यादि दें , ऐसा करने का बहुत महत्व है ।
- पीपल के नीचे दिया🪔 जलाना।
- सूर्य🌞 के सामने खड़े होकर जल चढ़ाना व गायत्री मंत्र का पाठ करके पितरों से क्षमा याचना करना यह भी अच्छा माना गया है ।
- "गया जी" में जाकर श्राद्ध करना और गीता का नित्य पाठ करना लाभकारी होता है ।
विदेशों में भी पितरों को याद (Veneration of Ancestors) करने के लिए पंपकिन डे (Pumpkin Day) और हेलोवीन डे ओक्टूबर 31 को मनाया जाता है। पितरों को याद करते हुए कद्दू या सीताफल अर्पित करते हैं। पश्चिमी देशों में इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता है।
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए इस त्यौहार को मनाया जाता है. वैसे तो लोग त्यौहारों में नए-नए कपड़े पहनते हैं, लेकिन इस त्यौहार में लोग ऐसे कपड़े और मेकअप करते हैं जिससे वो डरावने लगें. हर साल ये त्योहार 31 अक्टूबर को ही मनाया जाता है. ईसाई इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं।
इसके अलावा पितरों के नाम से पूजा कराना और पितरों को तर्पण कराना इत्यादि अच्छा फल देता है।
विवाह और अन्य शुभ अवसरों पर हिन्दू धर्म के अनुसार पितरों के नाम की खाने की थाली और वस्त्र निकलना भी एक परम्परा है।
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